ज़िन्दगी में अकेला था तब भी सुकून नहीं था
मैं जी रहा था मेरी तनहाई के साथ
सोचता था कि कभी ना कभी तो मिल जाएगा वो इन्सान
जिसके लिए गुजारे मैंने इतने तन्हा लम्हे और किया मैने बेहद इंतज़ार
आया वो दिन जब मिला मुझे कोई हसीन
सोचा था कि मिलते ही होजाएगी मेरी ये दुनिया रंगीन
पर वक़्त को भी मेरी खुशियां हज़म नहीं होनी थी
और हो गई थी कुछ ज्यादा ही अनहोनी थी
साथ तो उसके था पर फिर भी कुछ कमी सी थी
।
तुमसे जुड़ कर भी मुझे लगता है कुछ अधूरा
शायद यही पर होना होगा हमारा ये सफ़र पूरा
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