खामोशी और शोर - Inscape Ink

बाहर से नरम ज़रूर हूं पर भीतर हो रहा बहुत शोर है
मेरी खामोशी देख कर समजते लोग मुझे कमज़ोर है

बस कुछ ऐसे ही बाहर से लोगो को देख कर उनको परखने का तौर है
आज जान गया कि जो बोलता है उसका ही चलता हर कहीं जोर है

No comments:

Post a Comment