" तन्हा थे हम ज़िन्दगी में फिर तुम आ गए
थोड़ा जो सुकून था वो भी तबाह कर गए "
थोड़ा जो सुकून था वो भी तबाह कर गए "
ज़िन्दगी में इतनी खुशियां तो ना थी
पर कोई तनाव भी इतना ना था
जी रहे थे ज़िन्दगी चंद पहेलियों के साथ
पर ऊपर वाले को इतना मंज़ूर ना था
एक दिन आ गया ज़िन्दगी में कोई अंजान
जिससे धीरे धीरे होने लागी मेरी पहचान
और ये सिलसिला कब प्यार में बदल गया पता ही ना चला
वो पराए से अपने हो गए उससे हम वाकिफ ही ना हुए
पर ये खुशियां भी कुछ लम्हों की ही थी
शुरुआत ये मेरी दिल टूटने की जो थीं
No comments:
Post a Comment