jazbaat - Inscape Ink


              " छूट रहा है सब मेरे हाथो से 
               हार रहा हूं शायद जज्बातों से "

ये जज्बात भी ना बहुत ही अजीब होते है
अपने ना होते हुए भी लोग करीब लगते है

इन जज्बातों पे तो काबू नहीं रह सकता
पर इनसे दूर भी नहीं रहा जा सकता 

जज्बातों के सफ़र में में आखिर निकल ही गया
जो साथ ना था उनसे रिश्ता कुछ वक्त संभल गया

फिर एक लम्हा ऐसा आया 
पल ही पल में सब ख़तम होता गया

अब तो धीरे धीरे सब छूट सा रहा है
मुझसे सब दूर होता जा रहा है

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