Dhaago se Uljhe - Inscape Ink


" धागो की उलझने तो कभी ना कभी सुलझ जाएगी
 पर ज़िन्दगी की उलझने तुम्हे बहुत कुछ सिखाएगी "

सुई और धागा जुड़ता है तब धागा जितना लंबा होता है
उसमे उलझन भी उतनी ही ज्यादा होती है।
धागा परोने के बाद कुछ देर तक उलझन रहती है और धागा जैसे जैसे कम होता जाता उतनी ही उलझने कम होती जाती।
पर सही उलझने तो हमे इस ज़िन्दगी में मिलती है, 
रोज रोज कुछ नई तकलीफे यह मिलती है

ना किसी से कुछ शिकायत कर सकते है
और ना किसी के साथ ही चाहत रख सकते है
ये मुश्किले भी हमारी है और मंजिल भी हमारी
ज़िन्दगी को जीने के लिए मुश्किल भी जरूरी है रास्ते में।
ये उलझने ही तो है जो हमे बहुत कुछ सीखा देती है।

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