कुछ पल के लिए ही सही
लोग हसीन थे ज़िन्दगी में
चाहत भी गजब की थी उनसे
पर उनको कुछ भी ना था हमसे
लोग तो खैर ऐसे ही मिल हमे
पर गम भी उतने ही मिले
खैर छोड़ो
लोगो से दूर आ गया हूं में अपने आशियाने में
की भुला दिया है हमको इस ज़माने ने
चाय से जुड़ा है हर पल मेरा ये जहां
जाऊ जहां में चाय को पाऊ वहा
"ज़िन्दगी ने खेले बहुत सारे खेल
सिवाय चाय के अब किसी से ना है मैल"
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