बुलाती है मगर जाने का नहीं
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" तुम चाय सी हसीन और में बिस्कुट सा कठीन मिल जाऊ जो तुझमें तो हो जाऊ तुम में विलीन " दुनिया में सबसे प्यारी क्यों ...
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"तुमसा हसीन यहां कोई और नहीं तुम्हे भूल जाऊ ऐसा कोई दौर नहीं" ज़िंदगी में कोई इतना प्यार नहीं लगा सिवाय तुम्हारे तुमसे...
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मौसम तो बदलता रहता है उसके वक़्त पर पर हम तो चाय से वक़्त बेवक्त करते है चाय से जुनून है चाय ही सुकून है चाय में ही मेरा में है ...
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ज़िन्दगी के सफ़र को अधूरा छोड़ बहुत दूर जा चुके हो तुम इसी बात प्र नाराज़ कर गए हो हमे तुम पर ज़िन्दगी में कुछ भी "हमेशा...
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