Apne andar jaank kar dekho - Inscape Ink


सुकून की चाह थी तो किसी राह पर निकल पड़े
अपनी ही धुन में हम अकेले यूं चल पड़े

चाहत इतनी थी कि हम बड़ी दूर निकलते चले गए
और एक दफा ऐसा हुआ कि रास्ता ही खत्म हो गया
और में फिर किसी खयाल में खोया वहीं रुक गया
सोच ही सोच में एक खयाल आया अंदर se

" मंजर की तलाश में वो निकला था अपने घर से
जिसकी चाह थी वो उसे मिला अपने ही अंदर से"

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