एक सपना था कि मेरा अपना भी एक जहान हो
की हर मुमकिन कोशिश अपने सपने के लिए
और बना दिया आखिर अपना वो हसीन जहान
सोचा था कि वहां खुद को मिलेगा सुकून
और निकल पड़ा साथ लेके ये जुनून
ख्वाहिशो का जहां थोड़ी ना होता है हर किसी को नसीब
पर मेरे लिए तो था वो खुद से ज्यादा भी करीब
पर फिर आया एक ऐसा तूफ़ान
और हो गया सब एक ही पल में ख़तम
।
।
फिर रहा हू में यहां वहां
मालूम नहीं में हूं कहां
खुद का बनाया था एक जहां
पर खुद हूं गुम हो गया में वहां
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